General Thoughts

shiv shakti

shiv shakti

 शक्ति के बिना शिव शव है , अगर आप थोड़ा विचार करेंगे  की मुर्दा शरीर को भी हम शव ही कहते हैं , वास्तव में शास्त्र जिस शिव की बात कर रहे थे वो आप स्वयं हैं ये आपका ही शरीर बिना शक्ति के शव है , शक्ति क्या है ? प्राण शक्ति कोई उसे कुण्डलिनी कहते हैं ,कोई चेतना कोई प्राण वास्तव में थोड़ा अलग अलग रूप में होते हुए ये सभी  एक ही हैं, यही वो शक्ति है जिसके बारे में वेद शास्त्र कहते हैं की तत्वमसि ।  आपके अनजाने में ही ये प्राण शक्ति कुछ अंशो में आपके अंदर…
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आत्मसाक्षात्कार

आत्मसाक्षात्कार

ऋषि कहते हैं आत्मसाक्षात्कार ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य है , बात थोड़ी अटपटी लगती है कोई बाहरी हो उसका साक्षात्कार करना हो उससे मिलना हो तो समझ आता है कि  हा हम कभी उससे मिले नहीं , लेकिन स्वयं  से तो हम रोज मिलते हैं बल्कि ज्यादा समय हम स्वयं  के ही ख्यालो में खोये रहते हैं ,स्वयं की ख़ुशी ,स्वयं  के दुःख  , स्वयं  का मा न, अपमान और घमंड, अब और किस तरह से स्वयं  से मिले और अगर स्वयं से मिलना ही जीवन लक्ष्य है तो वो तो हमने कबका पा लिया।   शास्त्र  कहते हैं तुम…
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“वसुधैव कुटुम्बकम ” इक महान आदर्श या चेतावनी ?

“वसुधैव कुटुम्बकम ” इक महान आदर्श या चेतावनी ?

 महोपनिषद के अध्याय 4 का श्लोक 71 , अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।। अर्थात यह मेरा है.यह पराया है ऐसी सोच छोटे चित्त वाले व्यक्तियो की होती है , उदार चरित्र के लोगों के लिए सम्पूर्ण संसार ही घर है । आज के हजारो  साल पहले जब हमारे महान ऋषि पूर्वजों ने इस श्लोक की रचना की होगी तो निश्चय ही उनके मन.में इक आदर्श समाज की अभिलाषा रही होगी ,निश्चय ही उन्होंने ने अपने अनुभव के आधार पर मनुष्यों को इक आदर्श समाज बनाने की परिकल्पना से ये श्लोक रचे होंगे ।…
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Dharm

Dharm

धर्म  क्या है?यह एक सवाल है जो हमेशा से मानव मन को परेशान करता रहा है ,अपने इस सवाल के जवाब को ढूढने के लिए वो हमेशा से प्रयाशरत  रहा कभी इस का जवाब ढूढने के लिए वो जंगलो में गया कभी हिमालय की गुफाओं में।बहुत से लोगो को इसका जवाब मिला और जिनको मिला इन्होंने दुसरो को बताया जैसे गौतम बुद्ध जी महाराज ,महावीर स्वामी  और इनके जैसे न जाने कितने लोगो ने बताया की धर्म क्या है ,इन्होंने बताया की मनुष्य जीवन किस लिए मिला है आपका क्या कर्तव्य है इस जीवन के  प्रति।इनसे भी पहले यानि की…
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DAR AUR INSHAN

DAR AUR INSHAN

इंसान और डर इनमें  से पहले कौन पैदा हुआ ये कहना थोड़ा मुश्किल है। शायद पेड़ो  पर  रहने वाले हमारे पूर्वजो को जब दूसरी जातियों (जानवर जातियों ) से  डर लगने लगा तो उन्होंने अपने अश्तित्वा को बचाने के लिए प्रयत्न  किये और शायद उन्हीं प्रयत्नों के फलस्वरूप वो दूसरे जानवरो से श्रेष्ठ बन गए या यु कहें  कि जानवर (बन्दर ) न रह कर इंसान बनने की राह पर निकल पड़े ।        किन्तु मनुष्य बनने के बाद  ये डर  कम नहीं हुआ  बल्कि और बढ़ गया , अब उसने परिवार बनाये ,कबीले बनाये किन्तु फिर भी ये डर कम नहीं…
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