आसन 

अष्टांग योग का तीसरा अंग है आसान , वास्तव  आजकल हम अपने आस पास योग के नाम पर जो कुछ भी देख रहें हैं उसमे से ज्यादातर आसान ही है ,आसान  को शरीर की बाह्य समाधि में सहायक  माना जाता है। वास्तव में आसन के शारीरिक लाभ को वजह से आसन ज्यादा प्रसिद्ध हुए अलग अलग तरह के रोगों से शरीर को बचाने के लिए और रोग को दूर करने के लिए आसन उपयोगी हैं , योग साधना के अंतर्गत आसन की साधना की जाती है शरीर को ध्यान अवस्था  समय तक बैठे रहने  लिए , महर्षि पतंजलि आसान के लिए लिखते हैं  

 स्थिरसुखमासनम्। 

अर्थात शरीर हिले डुले ना ,स्थिर और सुखपूर्वक बिना किसी पीड़ा के लम्बे समय तक बैठने का नाम आसन है। हठ योग के अंतरगत अलग अलग तरह के योगासनों का वर्णन है , लम्बे समय तक जब इन आसनो का अभ्यास करते रहते हैं तो, आरम्भ में शरीर में वात पित्त और कफ के प्रभाव की वजह से थोड़ी पीड़ा हो सकती है लेकिन लेकिन धीरे  उनमें स्थिरता आने लगती  और धीरे आसन सिद्ध होते जाते हैं ,महर्षि पतंजलि लिखते हैं 

प्रयत्नशैथिल्यानन्तसमापत्तिभ्याम्।। 

 प्रयत्नो की शिथलता  अर्थात  शरीर सम्बन्धी सभी चेष्टाओ का त्याग और मन परमात्मा में स्थिर कर लेना इन्हीं दो उपायों से  आसान की सिद्धि होती है। 

आसन मात्र शारीरिक व्यायाम नहीं है  

अक्सर लोग आसनों को शारीरिक व्यायाम की तरह बिना किसी तरह की सजगता के करते हैं , ऐसे आसन शरीर को थोड़े बहुत लाभ तो दे सकते हैं किन्तु ज्यादा संभावना  है की कष्ट ही दे , बहुत तरह की बीमारियां बाद में आपके शरीर  को जकड़ सकती हैं इस तरह के योगाभ्यास की वजह से । वास्तव में कोई भी आसान करते हुए आपको पूरी तरह जागरूक और सजक रहना हैं शरीर के किस अंग पर आपकी चेतना है उसका पूरा ध्यान रखना है ,बहुत से आसन श्वास प्रस्वास के साथ  हैं आपको उसका भी ध्यान रहना चाहिए वास्तव में आसान ध्यान के साथ ही किया जाता है ध्यान और समाधि  लिए आसन सीढ़ी है। 

अगर आप चक्र और कुण्डलिनी जैसी चीजों के बारे में जानते हैं तो आप योगासनों को करते हुए देख सकेंगे की हठ योग के आसन कहीं न कहीं आपके चक्रों में ऊर्जा और चेतना का विस्तार करने के लिए बहुत उपयोगी हैं। 

 हठ योग के अंतरगत अलग अलग तरह के योगासनों का वर्णन है , शरीर के अलग अलग हिस्से के लिए जिनके बारे में हम कभी और विस्तार चर्चा करेंगे ,सभी आसनों में सूर्यनमस्कार ऐसा है जिसे आप सामान्य रूप से नियमित करके अपने शरीर को पूर्ण स्वस्थ और निरोग बना सकते हैं और धीरे धीरे आसन सिद्धि  साथ योग  के दूसरे अंगो की तरफ बढ़ सकते हैं , बैठने के योगासनों में आप पद्मासन या सिद्धासन आदि का अभ्यास क्र सकते हैं। 

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