स्थिरसुखमासनम्

आत्मसाक्षात्कार

आत्मसाक्षात्कार

ऋषि कहते हैं आत्मसाक्षात्कार ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य है , बात थोड़ी अटपटी लगती है कोई बाहरी हो उसका साक्षात्कार करना हो उससे मिलना हो तो समझ आता है कि  हा हम कभी उससे मिले नहीं , लेकिन स्वयं  से तो हम रोज मिलते हैं बल्कि ज्यादा समय हम स्वयं  के ही ख्यालो में खोये रहते हैं ,स्वयं की ख़ुशी ,स्वयं  के दुःख  , स्वयं  का मा न, अपमान और घमंड, अब और किस तरह से स्वयं  से मिले और अगर स्वयं से मिलना ही जीवन लक्ष्य है तो वो तो हमने कबका पा लिया।   शास्त्र  कहते हैं तुम…
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आसन 

आसन 

अष्टांग योग का तीसरा अंग है आसान , वास्तव  आजकल हम अपने आस पास योग के नाम पर जो कुछ भी देख रहें हैं उसमे से ज्यादातर आसान ही है ,आसान  को शरीर की बाह्य समाधि में सहायक  माना जाता है। वास्तव में आसन के शारीरिक लाभ को वजह से आसन ज्यादा प्रसिद्ध हुए अलग अलग तरह के रोगों से शरीर को बचाने के लिए और रोग को दूर करने के लिए आसन उपयोगी हैं , योग साधना के अंतर्गत आसन की साधना की जाती है शरीर को ध्यान अवस्था  समय तक बैठे रहने  लिए , महर्षि पतंजलि आसान के…
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