Religion

आत्मसाक्षात्कार

आत्मसाक्षात्कार

ऋषि कहते हैं आत्मसाक्षात्कार ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य है , बात थोड़ी अटपटी लगती है कोई बाहरी हो उसका साक्षात्कार करना हो उससे मिलना हो तो समझ आता है कि  हा हम कभी उससे मिले नहीं , लेकिन स्वयं  से तो हम रोज मिलते हैं बल्कि ज्यादा समय हम स्वयं  के ही ख्यालो में खोये रहते हैं ,स्वयं की ख़ुशी ,स्वयं  के दुःख  , स्वयं  का मा न, अपमान और घमंड, अब और किस तरह से स्वयं  से मिले और अगर स्वयं से मिलना ही जीवन लक्ष्य है तो वो तो हमने कबका पा लिया।   शास्त्र  कहते हैं तुम…
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“वसुधैव कुटुम्बकम ” इक महान आदर्श या चेतावनी ?

“वसुधैव कुटुम्बकम ” इक महान आदर्श या चेतावनी ?

 महोपनिषद के अध्याय 4 का श्लोक 71 , अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।। अर्थात यह मेरा है.यह पराया है ऐसी सोच छोटे चित्त वाले व्यक्तियो की होती है , उदार चरित्र के लोगों के लिए सम्पूर्ण संसार ही घर है । आज के हजारो  साल पहले जब हमारे महान ऋषि पूर्वजों ने इस श्लोक की रचना की होगी तो निश्चय ही उनके मन.में इक आदर्श समाज की अभिलाषा रही होगी ,निश्चय ही उन्होंने ने अपने अनुभव के आधार पर मनुष्यों को इक आदर्श समाज बनाने की परिकल्पना से ये श्लोक रचे होंगे ।…
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Mahabharat ka purana name

Mahabharat ka purana name

 महाभारत सनातन धर्म  का एक प्रमुख महकाव्य है ,इसे पंचम वेद भी कहा  जाता  है यह विश्व के  सबसे लम्बे ग्रंथो में से एक है । महाभारत की रचना महर्षि व्यास जी ने किया जिनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन वेद  व्यास था। महाभारत सनातन धर्म का ही नहीं बल्कि विश्व का महानतम धर्म है जैसा की इसके बारे में स्वयं  वेद व्यास जी ने कहा है   "जो यहाँ (महाभारत में) है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जायेगा, जो यहाँ नहीं है वो संसार में आपको अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा।" महाभारत  लिखने के  लिए  भगवान वेद व्यास ने गणपति श्री गणेश…
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