शास्त्र

आत्मसाक्षात्कार

आत्मसाक्षात्कार

ऋषि कहते हैं आत्मसाक्षात्कार ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य है , बात थोड़ी अटपटी लगती है कोई बाहरी हो उसका साक्षात्कार करना हो उससे मिलना हो तो समझ आता है कि  हा हम कभी उससे मिले नहीं , लेकिन स्वयं  से तो हम रोज मिलते हैं बल्कि ज्यादा समय हम स्वयं  के ही ख्यालो में खोये रहते हैं ,स्वयं की ख़ुशी ,स्वयं  के दुःख  , स्वयं  का मा न, अपमान और घमंड, अब और किस तरह से स्वयं  से मिले और अगर स्वयं से मिलना ही जीवन लक्ष्य है तो वो तो हमने कबका पा लिया।   शास्त्र  कहते हैं तुम…
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