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Dec
अष्टांग योग का दूसरा अंग है नियम ,नियम के पांच उपांग है या यूँ कहे इन पांच चीजों की साधना ही नियम की साधना है , महर्षि पतंजलि लिखते हैं शौचसंतोषतपः स्वधायेश्वरप्रणिधानानि नियमाः। अर्थात शौच ,संतोष ,तपस्या ,स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान नियम हैं। १. शौच :- शौचं तु द्विविध प्रोक्तं बाह्यमभ्यन्तरन्तथा। मृदजलाभ्याम स्मृतं बाह्यं मनः शुद्धिस्तथान्तरम।। शरीर और मन के मैल को दूर करने का नाम ही शौच है। शौच अर्थात सफाई दो तरह की मानी गई है पहली है बाह्य (बाहर की ) जल ,मिटटी (उस समय के हिसाब से) आदि से शरीर…